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कुछ रूपक ( ईश्वर का राज्य /मॉल के अन्दर और बाहर.


मॉल के अन्दर और बाहर..(एक रूपक )
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तफरी पर निकले 'गॉड जी ' चीन के एक मॉल में घुसे और भीतर ही भीतर अमेरिका में जा निकले |
भीतर यह देखकर उनके आश्चर्य का पारावार ना रहा कि सब के पास खाने को पिज़्ज़ा बर्गर है पहनने को ब्रांडेड कपड़े हैं स्वागत के लिए आतुर सुन्दर लड़के लडकियां है |...बानी और पानी सब एक रस होकर ,दुनिया एक गाँव बन गयी है | 
‘मै इन्हें भले एक ना कर सक मगर बाज़ार ने सब भेद भाव मिटाकर दुनिया को एक कर दिया ‘ 'गॉड जी' ने खुश होकर सोचा |
स्वर्ग लौटकर 'गॉड जी' ने मंत्रिमंडल की आपात बैटक बुलाकर सभी मंत्रियों की यह कहते हुए छुट्टी कर दी कि दुनिया सुखी सुन्दर और शोषण मुक्त हो चुकी है इसलिए अब किसी मंत्रिमंडल की ज़रूरत नही रही |अलबत्ता डेथ मिनिस्टर अपने पद पर यथावत बने रहेंगे क्योंकि इतना कंट्रोल हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी है |
सभा बर्खास्त हुई ही थी कि स्वर्ग से बहिष्कृत एक संत कवि बौखलाया हुआ हाथ में तस्वीरें लहराता सभा में घुसा और बोला कि मॉल के बाहर दुनिया में बहुत अभाव और भेदभाव है| मॉल जिस तेज़ी से मालामाल हुआ लोग उतनी तेज़ी से कंगाल होते गये |
इसलिए पहले आप सब इस पर विचार करे कि क्यों और कैसे नयी नीतियों के चलते जिस तेज़ी से बाज़ार एक हुआ उतनी तेज़ी से दुनिया जाति धर्म भाषा और क्षेत्र के टुकड़ो में बँटती गयी ?
क्या दुनिया का बंटा होना बाज़ार के एक होने में मदद करता है ?
सुनना था कि सभा को काठ मार गया और 'गॉड जी' का मुंह खुला का खुला रह गया||||

(चित्र :हु मिनजुन..गूगल साभार )


ईश्वर का राज्य :
जो मनहूसियत आज आप यहाँ देख रहें हैं ,कभी वहाँ भरपूर जिंदगी थी  |
खिलते फूल थे | चहकते पंछी थे | खेलते बच्चे थे |काम करती जवानियाँ थी |
मतलब एक हँसती खेलती बस्ती थी |
फिर किसी मनहूस घड़ी मरघट से एक  शव साधक बस्ती में घुस आया |
उसने कहा ईश्वर ने उसे बस्ती में ईश्वर का राज्य कायम करने के लिए भेजा है  |
बस्ती वाले अजूबों का बड़ा आदर करते थे |
लिहाजा वे इस अजूबे के झाँसे में आसानी से आ गये |
शव साधक ने पहले तो  फूलों के खिलने पर पहरे बिठा दिये |
फिर पंछियों को हुकुम दिया कि वे चहचहा कर लोगों को गुमराह ना करें |
तितलियों के उड़ने पर यह कहकर पाबंदी लगा दी कि वे विषय भोग को बढ़ाती हैं | 
बच्चों की मासूमियत को गुनाह बताया गया |
और बस्ती धीरे धीरे एक मरघट में बदलने लगी  |
पर लोग आकाश की राह तकते रहे कि ईश्वर का राज्य अब उतरा तब उतरा |
किस्मत से एक फकीर उस राह से गुजरा और ये सब देखकर बैचेन हो रहा कि ईश्वर का राज कायम करने निकले लोग शैतान के राज में जा पहुँचे थे |
उसने बस्ती वालों को इसके लिए राजी किया कि वे पहाडो के पार चलकर एक झलक ईश्वर के राज्य की देखें |
लोगों ने देखा कि ईश्वर के राज्य में फूल खिले हुए हैं, पक्षी गा रहें है ,तितलियाँ झूम रही हैं, जवानियाँ खेतों कारखानों में काम कर रही हैं|
स्वयम ईश्वर बच्चों के साथ खेल रहा है |
लोगों ने इस बात पर स्वयं को ठगा महसूस किया कि वे एक शैतान के बहकावे में आकर नाहक ईश्वर के राज्य को मरघट में बदल बैठे |
वे अपनी बस्ती को शव साधक से मुक्त कराने की ठान कर वापस लौटे लेकिन शव साधक अपना अंत देख ...कहीं छुप गया ...
उपासना स्थल के रास्ते पर कुछ खून के निशान मिले हैं मुमकिन है वो वहीँ कही छुपा होगा ....|||....

(चित्र गूगल साभार )

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