कानून कथा उन्होंने कानून बनाया क़ानून के हाथ बनाये कि अपराधी पहुँच से बच ना पाये | हाथ ज़रा लंबे बनाये कि अपराधी तेज और चालक होते हैं ज़रा और लंबे किये कि कुछ अपराधी दूर देश में बैठे होते हैं | फिर ज़रा और लंबे किये कि कुछ अपराधी ऊँची कुर्सी पर होते हैं | .........लंबे होते होते हाथ इस क़दर लंबे हो गए कि आपस में उलझ गए | अब अपराधी पास में खड़े हँस रहे हैं और कानून अपने हाथ सुलझाने में लगा है | @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ इंसाफ सबसे खोखला लेकिन सबसे ज्यादा बजने वाली चीज क्या है ??? ‘ इन्साफ ’ मुहर लगे कागज पर थूकते हुए उसने कहा |||| @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ मुआवजा पहला सरकारी लारी में दबकर एक मरा : मुआवजा १ लाख दूसरा ट्रेन के ए. सी . डिब्बे के नदी में गिरने से मरा : मुआवजा ५० लाख तीसरा हवाई जहाज़ क्रेश होने में मरा : मुआवजा १० करोड़ ये कैसा इन्साफ है ? जान तो सबकी बराबर है |कोई चिल्लाया .... “ नहीं आमदनी में फर्क था जान की कीमत आमदनी से तय होती है | पहला जो मजूर था, कमाता तो हड्डी तोड़ था लेकिन सिर्फ २ हज़ार महीना | दूस
कथ्य,शिल्पऔर अंतर्निहित सन्देश तीनों ही दृष्टि से अकिंचन ,जीवित फिर भी त्रणवत