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Showing posts from December, 2012

कानून कथा / इंसाफ/ मुआवजा

 कानून कथा उन्होंने कानून बनाया क़ानून के हाथ बनाये कि अपराधी पहुँच से बच ना पाये | हाथ ज़रा लंबे बनाये कि अपराधी तेज और चालक होते हैं  ज़रा और लंबे किये कि कुछ अपराधी दूर देश में बैठे होते हैं |  फिर ज़रा और लंबे किये कि कुछ अपराधी ऊँची कुर्सी पर होते हैं | .........लंबे  होते होते हाथ इस क़दर लंबे हो गए कि आपस में उलझ गए | अब अपराधी पास में खड़े हँस रहे हैं और कानून अपने हाथ सुलझाने में लगा है | @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ इंसाफ  सबसे खोखला लेकिन सबसे ज्यादा बजने वाली चीज क्या है ??? ‘ इन्साफ ’ मुहर लगे कागज पर थूकते हुए उसने कहा |||| @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ मुआवजा   पहला सरकारी लारी में दबकर एक मरा : मुआवजा १ लाख दूसरा ट्रेन के ए. सी . डिब्बे के नदी में गिरने से मरा : मुआवजा ५० लाख तीसरा हवाई जहाज़ क्रेश होने में मरा : मुआवजा १० करोड़ ये कैसा इन्साफ है ?  जान तो सबकी बराबर है |कोई चिल्लाया .... “ नहीं आमदनी में फर्क था  जान की कीमत आमदनी से तय होती है | पहला जो मजूर था, कमाता तो हड्डी तोड़ था लेकिन सिर्फ २ हज़ार महीना | दूस

अमर/ मलबा/ पर्यावरण

३ सूक्ष्म कथाएँ अमर  उसे छत से धकेला गया ,वो नहीं मरा उसे चौथे माले से लात मारी गयी वो नहीं मरा उसे मोबाईल टावर से फेका गया तब भी वह बचा रहा अब कैसा भी  पतन  उसके लिए बेमानी हो चुका था दरअसल जब वह अपनी निगाहों से गिरा और नहीं मरा तबसे वो अमर हो चुका था .......||| @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ मलबा  खँडहर के आसपास से गुजरते लोगो को इसका कोई इल्म ना था | ना कभी होता | लेकिन जब  बारिश में मलबा जमीन पर आ गया तो उसे हटाना मज़बूरी हो गयी | और तभी वह  काफी हॉउस प्रकट  हुआ जिसके वेटर और  ग्राहक जा चुके थे | दरवाज़े पर ताले पड़े थे | लेकिन जिसकी टेबल के चौगिर्द गर्द में गर्क  ४ लोग अभी भी बदलाव पर बहस कर रहे थे | इस बीच सिर्फ इतना बदलाव हुआ था कि उनके दाँत और बाल झड गए थे | चेहरे पर झुर्रियों टंग चुकी थी और वे जीवाश्म में बदल चुके  थे ||||| @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@ पर्यावरण  संस्था को अहसास हुआ कि पर्यावरण खतरे में है | पेड़ बचाये जायें | १०००        पेड़ काटे गये | १००००० किताबे छापी गयीं | १००००००० करोड़ पन्नों पर लिखा गया ..... पेड़ बचायें.... पेड़

zakham(wound)

सूक्ष्म कथा: ज़ख़्म   एक मोहल्ले के गुस्साये लोगों ने दूसरे मोहल्ले पर पथराव कर दिया | दूसरे मोहल्ले के गुमराह लोगों ने पहले मोहल्ले की दुकानों में आग लगा दी | ये सारा कुछ ,कुछ मिनट में ही  हो गया  | जिस पर दमकल की गाड़ियों ने कुछ घंटो में काबू पा लिया फिर व्यवस्था बहाल करने के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया | कुछ दिनों बाद व्यवस्था बहाल होते ही कर्फ्यू हटा लिया गया | कुछ हफ़्तों में हादसे से आये ज़ख़्म भी भर गये | कुछ महीनों बाद पथराव से अफाहिज व्यक्ति के लड़के को  स्कूल  छोडकर स्कूल के आगे ठेला लगाना पड़ गया | दूकान की तबाही से उबर पाने में नाकामयाब एक ने हताशा  में पुल से छलांग लगा दी | जो  मजदूर दंगे के बाद घर नहीं लौटा, उसकी बीबी दुधमुहे बच्चे के साथ बदनाम गलियों में देखी जाने लगी |  बरसों बाद दोनों मोहल्ले के लोग आज भी जब आमने सामने होते हैं तो पुराने  ज़ख्म  हरे होकर रिसने लगते  हैं  | इस  जख्मों को ठीक होने में कितना वक्त लगेगा कौन जाने ??????