सूक्ष्म कथा : उपजा पूत कमाल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रो कबीर देश आज़ाद होने पर झुग्गी बस्तियों में जाकर ज्ञान की अलख जगाने लगे | उनके पुत्र कमाल ने उन्हें समझाते हुए कहा … “ दद्दा बस्ती बस्ती मारे मारे फिरने से अच्छा है एक इंजीनियरिंग कॉलेज की परमीशन दिलवा दो सबका उद्धार हो जायेगा | ” ‘ बेटा देश को इंजीनियर नहीं नागरिकों की ज़रूरत है | ’ … ऐनक साफ़ करते हुए प्रो कबीर आगे कुछ और कह पाते कि कमाल तुनुक कर निकल गया | २० बरस बाद ,बाप के मरने पर लौटा तो पिता की विरासत का स्वयम्भू दावेदार बन गया | आज रूलिंग पार्टी में शामिल होकर ‘ कबीर मेमोरियल ट्रस्ट ’ का चेयरमेन है जिसके अंतर्गत एक दर्जन इजीनियरिंग और मेनेजमेंट के कॉलेज संचालित हैं | इनके विज्ञापन में प्रो कबीर की तस्वीर के साथ लिखा होता है … ‘ इसमें प्रवेश भविष्य के लिए सुरक्षित निवेश है ...विदेशी कम्पनी में प्लेसमेंट जॉब की गारंटी है ’ |||||
कथ्य,शिल्पऔर अंतर्निहित सन्देश तीनों ही दृष्टि से अकिंचन ,जीवित फिर भी त्रणवत