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गुड लेंथ



पवित्र किताब 
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 उन्होंने पवित्र किताब में सुनहरा शब्द टांका
समाजवाद
और जिसने बराबरी का हक़ माँगा उसकी जुबान खींच ली |
फिर दूसरा शब्द टांका
पंथ निरपेक्ष
और जिन्होंने धर्म ध्वजा उठाने से इंकार किया उनके हाथ काट दिये |
फिर एक और  सुनहरा शब्द टांका
अभिव्यक्ति की आज़ादी
और किसी ने कुछ रेखाएँ बनायीं तो उसे सलाखों के पीछे डाल दिया |
अब पवित्र किताब का हर पन्ना सुनहरे शब्दों से सजा था
लेकिन हर पन्ने पर खून से सना था |||||
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रहस्य 
मुझे वो शख्स बड़ा दिलकश लगा
गोपन और सम्मोहन से भरा
मै उसकी तरफ तेज़ी से खिंचा चला गया
करीब होते होते मुझे लगा कि जादू में फाँक आ रही है
करीबतर होकर मैंने पाया कि
मै पत्थर और कंटीली झाडियों के मुहाने पर खड़ा हूँ |
मुझे फकीर का मशवरा याद आया
इंसान हो या कुदरत ख़ूबसूरती के लिए एक दूरी की दरकार होती है ||
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टिप्स 
उन्होंने जिंदगीभर इन्कलाब गाया
उम्र भर नौजवानों  को भगत सिंह और लेनिन को  पढ़ने की ताकीद की
और अपने बेटे की १६ वी सालगिरह पर उन्होंने उसे दो किताबे भेंट की
सफल होने के १०० टिप्स
एवं  
 अच्छा मेनेजमेंट कैसे करें
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बुद्धिजीवी
  मेरे लिखे को आँख खोलकर पढ़ो
और मेरे कहे को कान खोलकर सुनो
लेकिन मेने क्या किया इससे आँख कान फेर लो
क्यों ???
क्योंकि मैं बुद्धिजीवी हूँ भाई ...बेबकूफ नहीं ||
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उपदेशक 
मेरे कहे
मेरे लिखे
मेरे किये और जिये पर बिल्कुल मत जाओ
बस मेरे पीछे पीछे चले आओ
क्यों...??
क्योंकि मैं आध्यात्मिक उपदेशक हूँ  भाई
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उपयोग 
मालिक आप मेरा दुरुपयोग क्यों करते है ?
मुझ पर तो आप को  सेवा के लिए बिठाया गया है ना ..
पद  ने  अपने ऊपर विराजमान विभूति से सवाल किया  |
वो बात यह है कि जब तक मैं तुम्हारा दुरूपयोग ना करूँ ...मुझे लगता ही नहीं कि मैं तुम्हारे ऊपर बैठा हूँ .....
उन्होने अपान वायु निकालते हुए ज़वाब दागा  .......
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शिरोमणि 
हमने आपको अपने शब्द साधक शिरोमणि हेतु चुना है
उन्होंने मुझे शाल श्रीफल देते हुए कहा ..
किन्तु मैंने किस शब्द की साधना की ..??
मैं शर्माते हुए पूछ बैठा....
सुविधा और संतुलन ..
उन्होंने अभिनन्दन पत्र देते हुए कहा .....
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दोस्त
उसे मेरी दोस्ती बर्दाश्त नहीं हुई
दरअसल उसे असहमति नाकाबिले बर्दाश्त थी
दोस्त.....
उसने पालतू कुत्तों के लिए यही खूबसूरत शब्द ईजाद किया था
इसके पहले कि वो मेरे गले में पट्टा डाल पाता
मैंने टांग उठकर उसके चेहरे पर पेशाब की
और आगे बढ़ गया ......||||
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बौना 
आसमान से ऊँची
बैशाखियों पर टंगे बौने को
आम लोगों की टांगो की ऊंचाई का इस क़दर खौफ था
कि उसने  शहर में ऐलान करवाया
कि लोग घुटनों के बल चले और घुटनों पर खड़े रहें
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मशवरा 
वो  मरियल बूढा
अपनी पीठ पर बेहद थुलथुल मोटी विशाल काया को ढो रहा था
और जार जार हुआ जा रहा था |
इसे उतार क्यों नहीं देते
मैंने मशवरा दिया
‘”अब लाश को तो ढोना ही पड़ता है ना बाबूजी
बूढा कातर स्वर में बोला ...||||








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