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Showing posts from January, 2013

बौडम

सूक्ष्म कथा : बौडम  उसने बचपन में जो भी सवाल किये, उसके जवाब उसे किताबों से दिये गये | नतीजतन उसका यकीन किताब पर गहरा और गहरा होता गया | वो जब बड़ा हुआ ,तब जिंदगी ने जो भी सवाल पेश किये वो उसका जवाब किताब में खोजने लगा | मुश्किल बस इतनी थी कि जिंदगी भाग रही थी लेकिन किताब में उलझकर वो पीछे छूट रहा था | फिर हुआ यूँ कि जिंदगी ओझल हो गयी और वो उसे किताब में ढूँढता हुआ किताब में गर्क हो गया | सामने वाली खिड़की पर  एक लड़की अब भी आती है| उसे देखकर मुस्कुराती है और हौले से बुदबुदाती है “ बौडम  ” ...||| ( चित्र :mike stilkey.. courtesy google )

गुरु मन्त्र ....

सूक्ष्म कथा : गुरु मन्त्र ....   प्रिय शकुन.....  स्नेहासिक्त आलिंगन |  आज से तुम मेरी अर्धांगनी ही नहीं गुरु भी हो |  तुमने मुझे वो ज्ञान उपलब्ध करा दिया,जिसकी तलाश में, मै स्कूल, कालेज और यूनिवर्सिटी मारा मारा फिरता रहा |  आज जब आटा माड़ते हुए वो गीला हो गया और मै उसे सुखाने का सब जतन कर हार गया |  तब तुमने फोन पर हँसते हुए गुरु मन्त्र दिया कि गीले आटे को ठीक करने का एक ही उपाय है, उसमे सूखा आटा मिलाकर उसे नये सिरे से माड़ना |  प्रिय शकुन .... और तभी मुझे यह ज्ञान प्राप्त हुआ कि जीवन हो या आटा ...जब कोई बात बिगड़ जाये तो उस पर खीजने से अच्छा है नये सिरे से नयी शुरुआत करना |  तुम मायके से लौटकर आओ तो गुरु दक्षिणा में जो चाहे मांग सकती हो ....सिवाय उस कुल्हाड़ी के जिससे मै उसी डाल को काटता हूँ जिस पर बैठा होता हूँ |                                                                    तुम्हारा...                                                                    “कालिदास”