सूक्ष्म कथा : बौडम उसने बचपन में जो भी सवाल किये, उसके जवाब उसे किताबों से दिये गये | नतीजतन उसका यकीन किताब पर गहरा और गहरा होता गया | वो जब बड़ा हुआ ,तब जिंदगी ने जो भी सवाल पेश किये वो उसका जवाब किताब में खोजने लगा | मुश्किल बस इतनी थी कि जिंदगी भाग रही थी लेकिन किताब में उलझकर वो पीछे छूट रहा था | फिर हुआ यूँ कि जिंदगी ओझल हो गयी और वो उसे किताब में ढूँढता हुआ किताब में गर्क हो गया | सामने वाली खिड़की पर एक लड़की अब भी आती है| उसे देखकर मुस्कुराती है और हौले से बुदबुदाती है “ बौडम ” ...||| ( चित्र :mike stilkey.. courtesy google )
कथ्य,शिल्पऔर अंतर्निहित सन्देश तीनों ही दृष्टि से अकिंचन ,जीवित फिर भी त्रणवत