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Showing posts from October, 2017

कीड़ा और अमन के रखवाले

कीड़ा _______________ बिटिया जोर से चिल्लाई ..'पापा ...' | मै लपक कर पहुंचा तो गमले के पास डरी खड़ी थी | उसने अंगुली का इशारा किया तो मैंने देखा एक जहरीला सा दिखता कीड़ा गमले के पीछा छिपा था | उसे भगाना चाहा तो वो स्कूटर के पीछे जा छिपा , वहां से खदेड़ा तो जूतों के रेक के पीछे जा छिपा | अंत में तय किया गया कि इससे पीछा छुड़ाने के लिए इसे मार ही डाला जाये | जिस क्षण उसके सर को मै डंडे से कुचलने जा ही रहा था | ठीक उसी क्षण वहां यक्ष खड़ा हो गया | यक्ष ने कहा " बेशक उसे मार डालो लेकिन पहले एक प्रश्न का जवाब दो क्या तुम उन जहरीले कीड़ो को भी ढूंढकर मार सकते हो जो कानून , धर्म , राष्ट्र , संस्कृति की आड़ में छिपे हैं ?" मै निरुत्तर था | अब वहाँ ना यक्ष था ना कीड़ा || अमन के रखवाले  ___________________________ उस गिरोह का दावा था कि वो अमन का  रखवाला  है | चौराहों पर उनके बड़े-बड़े इश्तहार चिपके थे जिनमे में अत्याधुनिक हथियारों से सुसज्जित अमन की अपील के साथ खड़े दिखते थे | एक दिन दोपहर को सूरज डूब गया | खबर आयी कि उन्होंने शहर के उस नंगे फ़कीर को गोली मार दी जो ग