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Showing posts from July, 2013

गुरु

अथ घंटाल कथा (१) उसने रद्दी बाज़ार से दो चार किताबें   खरीदी.. फिर एक लाइन इधर से दूसरी उधर से मार कर एक नयी किताब टीप दी | उस किताब को अपने नाम से पेंटेंट कराया और मुम्बईया   हीरोइन से उसका ब्लर्ब   लिखवाकर, धाँसू कवर के साथ मार्केट में लांच किया | और मीडिया में मेनेजमेंट गुरु के नाम से   स्थापित हुआ | फिर ‘ मुक्ति ’ के बाज़ार में नयी संभावनायें पाकर, उसमे उसी किताब को दूसरे नाम   से हालीवुड की हीरोइन से ब्लर्ब लिखाकर लांच किया | हम उसे इन दिनों ‘ स्प्रीचुअल गुरु ’ के नाम से पूजते हैं ||| अथ घंटाल कथा (२) बचपन में डाकुओ के चुंगल फंस गया तो उन्होंने मुक्ति के नाम पर फिरौती मांगी और पाकर मुक्त कर दिया | जवानी में ‘ घंटाल जी ’ के चुंगल में फंस गया तो उन्होंने   मुक्ति के नाम पर श्रद्धा मांगी ,फिर अंध श्रद्धा मांगी और फिर दान दक्षिणा के साथ श्रद्धा मांगी | उनके चुंगल में धोखे से क्या फंसा आज तक   रिहा ना हो सका | डाकू इन दिनों सलाखों के पीछे है मगर ‘ घंटाल ’ जी का सिहासन ऊँचा उठता जा रहा है | उनका सिंहासन श्रद्धालुओं के ऊपर टिका है | प्रला

hanumant sharma

सूक्ष्म कथा : श्रीमान शर्मा  ************************************* मोड़ पर मज़मा लगा था , उत्सुकतावश मैने भी भीतर झांका | देखा तो एक कुत्ता भौंके जा रहा था ,लेकिन ये विचित्र बात नहीं थी | विचित्र तो यह था कि श्रीमान शर्मा...भी उस पर उतने ही जोश से भौ ंके जा रहे थे | मैं किसी तरह श्रीमान शर्मा को किनारे तक ले गया | और फुसफुसाया ....“ये आप क्या कर रहे है ?” “मै इसका प्रतिवाद कर रहा हूँ” उन्होंने मुझे समझाया “वो तो कुत्ता है ,,,पर आप तो आदमी होकर...” “आप समझते नहीं ..यदि मै इस पर नहीं भौंका तो लोग मेरी प्रतिबध्दता पर शक करेंगे ..” मुझे बीच में ही टोकते हुए वे फुसफुसाये और पसीना पोछकर प्रतिवाद में जुट गये | श्रीमान शर्मा की गिनती मोहल्ले के बुद्धिजीवियों में होती है || हालाँकि श्रीमान शर्मा स्वयं अपनी गणना अंतर्राष्ट्रीय बुद्धिजीवियों में करते हैं |||                                   

सूक्ष्म संस्मरण

सूक्ष्म संस्मरण *********************************************************************** सुबह खबर आयी कि हमारे मित्र सुकुल जी दुबारा बाप बन गये हैं | आज के समय में दुबारा बाप बनने का जोखिम कोई वीर ही उठा सकता है | सो हम मियाँ बीबी ने तय किया कि सुकुल भईया और सुकुलाइन भौजी को को इस पराक्रम पर हस्पताल जाकर बधाई दी जाये और नन्हें मेहमान से मुलाक़ात भी की जाये | रास्ते में तय हुआ कि ‘बूके’ यानी पुष्प गुच्छ ले लिया जाये | सो गुलाब ... का ‘बूके’ पसंद किया गया | मुझे हैरानी तब हुई जब दुकानदार ने गुलाब के ‘बुके’ पर सेंट की शीशी उडेल दी | ‘सर इसके बगैर खुशबू नहीं आती’...मेरे टोकने पर दुकानदार ने कहा .... ‘हाय रब्बा अब गुलाब भी महकने के लिए नकली सेंट की मेहरबानी पर है’ ...मैने सोचा | तभी ट्यूबलाईट जली कि गुलाब के बागीचों में कोई तितली या भौरा क्यों नहीं नज़र आता ...ये ससुरे सिर्फ दिखने के गुलाब के ...महकने के नहीं ... हमने हाई ब्रीड जो तैयार की है उसमे सिर्फ आकार बढ़ा है लेकिन गुण नदारद हुये है ...चाहे फूल हो या सब्जी या आदमी ही क्यों ना हो ? रास्ते भर उस गुलाब की नकली खुशबू से मे

केंचुआ ..

सूक्ष्म कथा : केंचुआ ********************************************************************************************************************* उनमें शराफत कूट कूट कर भरी है | यहाँ तक कि चिक हटी होती है और मै भी सामने होती हूँ फिर भी वे खँखारकर पूछेगे ..”बेगम क्या मै अन्दर आ सकता हूँ ?” पर उस दिन मुझे लगा कि उनकी शराफत का मुरब्बा बनाकर मर्तबान में रख दूँ | ... ....हम मियां बीबी अपने कमरे में थे कि उनका ढीठ दोस्त दरवाज़े ठेलकर अन्दर आ धमका और मुझे बेहिजाब देखकर दांत चिराकर हँसने लगा | मैंने सोचा ‘ये’ अब आगे बढ़ेगें और एक मुक्के में उसके दांत हथेली पर रख देंगे | पर 'ये' तो बगले झांककर खिसिया कर रह गये | मै उनके दोस्त को कोसते हुए तमतमाकर गुसलखाने की तरफ भागी | आज भी सोचती हूँ ..उस दिन मेरे साथ कमरे में कौन था शौहर या केचुआ ???

गरीब ,जोरू और उपाय

सूक्ष्म कथा : गरीब ,जोरू और उपाय *************************************************************************************************************** दुनिया तब एक गाँव बन चुकी थी | उस गाँव के पूरब एक विशाल काया का गरीब रहता था | जि सके पास पूँजी के नाम पर बाप, दादाओं के घिसे हुए मैडल थे | ... जिन्हें छाती से लगाकर घूमता और शेखी बघारता रहता | उसकी एक जोरू भी थी जो गरीब की जोरू होने के नाते गाँव की भौजाई थी | राह चलते कोई भी भद्दे इशारे कर देता |बच्चे उसे आजादी कहकर चिढाते | तंग आकर एक दिन जोरू ने मर्द से कहा “ रक्षा का वचन दिये हो तो रक्षा भी करो” गरीब ने कहा “ बस थोड़े दिनों में दूध पीकर बदन बना लूँ फिर सबको छठी का दूध याद दिला दूंगा |” और मूंछो पर ताव देता हुआ बाल्टी लेकर बाहर निकल गया | जोरू ने माज़रा समझने के लिये पीछा किया तो यह देखकर कपार ठोंक लिया कि उसका मर्द सबसे छुपकर एक बैल के नीचे बाल्टी रखकर बैल दुहने की कोशिश कर रहा था |||

नन्हा सटोरिया

नन्हा सटोरिया ********************************************************************************************************** रात के अंतिम पहर सोमू पगरा लांघकर घुसा और खाट में चुपके से दुबक गया | रात भर परेशान स्टेशन , बड़ा मंदिर, नरोदा ब्रिज जाने कहाँ कहाँ घूमता रहा था | कभी ख्याल आया कि रेल की पटरी पर सो जाये ...कभी पुल से छलांग मार दे .. ... लेकिन हर बार बाबू का चेहरा याद कर रुक गया ..| वो सोया रहता था तभी बाबू ठेला लेकर निकल जाते ,लेकिन आज तबियत भारी लगने से बाबू लेट निकले और उसी समय वो भी स्कूल के लिए निकला | ‘सोमू’ ... बाबू आवाज़ देकर अंदर को पलटे और मुठ्ठी भींच कर लौटे | “ अच्छी सी शर्ट- पेंट खरीद लेना ....ऐसे कपडो में तेरा मजाक बनता होगा |” बाबू ने अपनी मुठ्ठी उसकी हथेली में खोलते हुए कहा | सोमू ने महसूस किया कि बाबू के हाथ के पसीना से नोट गीले हो गये थे | बाबू ठेला लेकर बढ़े तो सोमू ने देखा उनकी पतलून पर पीछे थिगड़े लगे हुये थे | रास्ते भर वो थिगड़े सोमू की आँखों में नाचते रहे | रास्ते में रंगीला पान भन्डार दिखा तो सोमू को याद आया कि परसों जित्तू ने यह

सट्टे पे सट्टा

सट्टे पे सट्टा :सूक्ष्म कथायें ************************************************************************************************* (सट्टा १ :पपलू ) __________________ तीन पत्ती पर पब में एल ई डी के आगे हुजूम लगा था | ... “क्या लगता है.. अगली बाल पे छक्का पड़ेगा ....?” “नहीं ...” “लगी एक एक बियर की” “ओके डन ...” ...........३ घंटे बाद ..... सडक पर एक पोस्टर को जूते से कुचलते हुए वे दोनों बडबडा रहे थे .. “स्याला नशे का नाश कर दिया ...खेल से गद्दारी करता है ..” | ************************** ************************** (सट्टा २ :किंग ) ___________________ शाम फोन पर .. ‘मेंगो का रेट बोलो’ “तीन का पांच”.. ‘ओरेंज ?’ “४ का ९” ‘तीन पेटी मेंगो...’ “ओके एमाउंट ब्लू हेवन में” .............रात दस बजे ...... फोन पर लड़खड़ाती आवाज आती है.. “..एमाउंट आधा करो टाइगर भाई श्याल्ल्ला खिलाड़ी बिक गया है...ऐसे में धंधा कैसे होयेगा .. ..श्याल्ल्ल्ला बेईमान” ‘कुमार साहब ..एमाउंट तो बंट गया,, सॉरी अपने धंधे में कोई रीप्ले नहीं चलता ’ और झटके से काल कट जाती है ||    

रेसक्यू

सूक्ष्म कथा : रेसक्यू ( सौभाग्य से आज यह सिर्फ कथा है ...लेकिन कौन जाने कल...??) ************************** **************** बारिश का पानी बस्ती के भीतर घुसा तो जान बचाने के लिये वे दोनों पेड़ पर जा चढ़े | रेसक्यू टीम वक्त पर वहाँ पहुँची लेकिन उनमे से एक को बचाने के चलते दूसरे को नहीं बचाया जा सका | ... मीडिया में हल्ला मचने पर कि आदमी के बच्चे की जगह सांप के बच्चे को बचाया गया ... सरकार ने आनन फानन एक उच्च स्तरीय जाँच दल बैठा दिया | गहन सुनवाई के बाद जाँच दल ने निष्कर्ष दिया .कि उक्त रेसक्यू टीम का गठन ही वन्य जीव को बचाने के लिये किया गया था |बचाया गया पिग्मी रेटल स्नेक दुर्लभतम था जिसकी विलुप्त प्रजाति को बचाना इको बेलेंस के लिये ज़रूरी था | यदपि आदमी के बच्चे का ना बचाया जाना दुर्भाग्य पूर्ण है किन्तु इससे पर्यावरण या भविष्य के जीवन को कोई क्षति नहीं हुई है लिहाजा रेसक्यू टीम के लिये इनाम की अनुसंशा की जाती है | (चित्र गूगल साभार )                                                                                                               

नन्हा राँझा

नन्हा राँझा : सूक्ष्म कथा ***************************************************************************************************************** फेस वन के चौथे माले पर डार्क केमल रहता है | सामने फेस टू के चौथे माले पर गोल्डन फिश रहती है | गोल्डन फिश के पापा के पास सिल्वर कार है जिसमे सेंसर लगा है | कोई चीज धोखे से भी कार से छू जाती है तो सायरन बज उठता है और गोल्डन फिश दौड़कर बालकनी में आ जाती है देखने कि क्या हुआ ...? ... यह देख डार्क केमल को जुगत सूझी | जब भी उसे गोल्डन फिश देखने का जी होता वो खिड़की से एक कंकड़ कार पर उछाल देता ....सायरन बजता और गोल्डन फिश दौड़ी चली आती | गोल्डन फिश की मासूम हैरानी से डार्क केमल ख़ुशी के मारे और डार्क हो जाता ... उस क़यामत के दिन डार्क केमल ने कंकड़ मारकर सायरन बजाया | गोल्डन फिश आयी ज़रूर लेकिन पीछे उसकी माँ भी और जब तक डार्क केमल खिड़की के पर्दे के पीछे खुद को छुपा पाता उसे ताड़ लिया गया | रात जब डार्क केमल के पिता शिफ्ट से वापस लौटे तो डार्क केमल की करतूत सोसायटी के गेट पर ही उन्हें परोस दी गयी ...| देर रात रोने की आवाज़ सुनकर के सामने की खिड़की खु

इंतज़ार

सूक्ष्म कथा : इंतज़ार ***************************************************************************************** हम दोनों एक ही बेंच पर बैठे थे | हालांकि मुझे अप लाइन की ट्रेन का इंतज़ार था और उसे डाउन लाइन की | हमारे चारो और मक्खियाँ भिनभिना रही थी | वे किसके इंतज़ार में थी कह नहीं सकता | ... सामने मुसलसल बारिश थी जिसके रुकने का इंतज़ार शायद सभी को था | “ सोयाबीन खराब हो जायेगी ” उसने बारिश को देखकर कहा .. “ बिटिया लौटते में शायद भीग जाये ” मैंने कहा .. फिर हमारी बातों की रेल गाँव , घर , शहर , दिल्ली ,महंगाई ,बीमारी ना जाने कहाँ कहाँ दौड़ने लगी और अचार पर आकर रुक गयी | उसने बेग से टिफिन निकाला और सामने धरते हुये कहा ...लीजिये घर के आम का है | मैंने भी मुस्कुराकर अपना लड्डू वाला डब्बा आगे बढ़ाया ...लीजिये माँ ने जिद करके रख दिये हैं | फिर हम दोनों एक साथ मुस्कुराये ... हमारे इंतज़ार के पेड़ पर फूल खिल रहे थे ....|||| (चित्र गूगल साभार )                                                                              

दवा

दवा ************************************************************************************* आगे छोटे बच्चे बैठे थे उनकेपीछे औरते और बूढ़े |सबसे पीछे बीड़ी के धुएँ में कुछ मर्द थे | सामने तालियों के बीच जादूगर टोपी से खरगोश निकाल कर अब लड़की को हवा में उड़ाने का तमाशा दिखा रहा था | शहर की चेरिटी संस्था ने झुग्गी बस्ती ... में आज मेजिक शो आयोजित किया था | तमाशे के बीच जादूगर हवा में हाथ हिलाकर टाफी , चिप्स और खिलोने बच्चों को बाँटने लगा | महिलाओं की तरफ भी क्रीम और शेम्पू पाउच उछाले | तालियों के बीच एक लड़का गुमसुम बैठा था | जादूगर सामने से गुजरा तो उसने उसके गाउन का सिरा हल्के से खींचते हुए कहा ‘...बाई के लिये भी कुछ दे दो ना साहब’ “ कौन बाई ?” “मेरी माँ ...सब उसे बाई बुलाते हैं तो मेरे मुँह से बाई निकल जाता है |” लड़के ने साफ किया | ‘क्या चाहिये ?’ “ कोई दवा दे दो ना साहब ..बाई तीन दिन से बुखार में है |” लड़का रिरिआया क्षण भर के लिये जादूगर को लगा कि बीच चौराहे में उसके कपड़े उतर गये हैं | और वो तेज़ी से स्टेज की तरफ बढ़ गया |||| ( चित्र साभार गूगल )

कुत्ता और आदमी

कथा : कुत्ता और आदमी ************************************************************************************************* “बड़ा नरम गोश्त था .... बहुत दिनों बाद पेट के साथ जी भी भरा” दांत में फंसा मांस निकालते हुए पहले ने कहा | “हाँ ...मगर ये अभी बच्चा ही था ..खेलने खाने के दिन थे ” दूसरे ने हड्डी चबात ... े हुये कहा | “जिसका समय पूरा हो गया ..हम क्या कर सकते है ? हम तो निमित्त मात्र हैं” डकार लेकर पहले ने ज्ञान आसन लगाया | “पर हम थोडा और पीछा करते तो व्यस्क खरगोश को पकड़ लेते ..शायद इसकी माँ ..” “ तू भी कुत्ता होकर इमोशनल हो जाता है ....ज़रा आदमियों से सीख ..माँ बाप बेटा बेटी सब माया है” दूसरा अभी बात पूरी भी ना कर सका था कि पहला वीरासन लगाकर गुर्राया .. दूसरा इस पर भी नहीं माना और बोला “आत्मा की शांति के लिये दो मिनट का मौन रख सकते है”... “ठीक है” पहले ने कहा| दोनों श्रद्धांजलि दे ही रहे थे कि चिड़ीमार बन्दूक की आवाज़ के साथ लहुलुहान परिंदा उनके सामने गिरा और तड़पने लगा ... “चल भाग ...हमारा बाप आ गया ..हम पेट के लिये शिकार करते है और ये शौक के लिये ..” पहले ने कह

कलम

सूक्ष्म कथा : कलम **************************************************************************************************************** उन दोनों ने एक साथ लिखना शुरू किया था | सुनहरी कलम ने अंधे को सूरदास लिखा और यह भी कि कौम को इससे बेहतर रहनुमाई नहीं मिल सकती | सुनहरी कलम के दोस्तों की तादाद तेज़ी से बढ़ी और इनाम इकराम से म ... ालामाल हो गयी | मगर खाकी कलम लोगों की आँखों में झांककर बिन्द और तिल की निशानदेही करती रही और चेतावनी देती रही कि वे रहनुमा के पीछे आँख खोलकर चलें |इस नुक्ताचीं में खाकी कलम के दोस्त भी दुश्मन बनते गये | उधर सूरदास की अंधी रहनुमाई में पीछल्गू कौम खाई में जा गिरी | तब बचे खुचे लोंगों ने खाकी कलम के कहे को याद किया और उसकी तलाश में निकल पड़े | लोंगो ने पाया कि खाकी कलम पागल हवा बनकर वीराने का चक्कर काट रही है |||||

नया जन्म

सूक्ष्म कथा : नया जन्म ******************************************************************************************* .....सब बच्चे अपने अपने में व्यस्त थे | बस मिठ्ठू थी कि काठ के घोड़े पर चढती और उतर जाती ... फिर वो बेंच पर चुपचाप बैठ गयी | ‘मिठ्ठू ,,,बिटिया क्या बात है ?’ प्ले स्कूल का टीचर होने के नाते मैंन ... े पूछा ..| “ये घोड़ा बाते नहीं करता ...गाना भी नहीं सुनाता ...”मिठ्ठू की आवाज़ में दर्द था | ‘घोड़े बाते नहीं करते ...सिर्फ आदमी बाते करते है ..’मैंने समझाना चाहा .. “करते है ....पापा घर में घोड़ा बनते है तो बाते भी करते है..गाना भी सुनाते है ..”मिठ्ठू ने एक साँस में कहा |. मेरे भीतर का टीचर असहाय हो चला था |तभी मेरे भीतर का बाप जागा | और ’मैंने उसके सामने घोड़ा बनते हुये कहा...‘ये घोड़ा भी बात करता है ......’ हँसते हुये मिठ्ठू अब घोड़े से बात कर रही थी ..... इस तरह घोड़े के रूप में मेरा नया जन्म हुआ और मै पूर्व जन्म के कई पापो से मुक्त हो गया ......|||