चन्द्रलोक से चच्चा ************************************************************************************************** चच्चा भोपाली इन दिनों चंद्रलोक की सैर पर हैं | जैसे ही सर्वर जुड़ा इधर लोगो ने कैमरे के सामने थोबड़ा रखते हुये एक साथ सवाल दागा “ चच्चा चन्द्र लोक में क्या देखा ? ” चच्चा ने पान के गिलौरी मुँह में दाबी और पीक मारकर बोले .. “ खां देखने के लिए कुछ है ही नहीं ..बस पहाड़ सा एक जानवर यहाँ भी है हाथी जैसा ... लेकिन चन्द्रलोक वाले उसे क़ानून कहकर बुलाते हैं ...खां वो खाता बहुत है पर चलता धीरे धीरे है | कभी पगला भी जाता है | जिसके पास अंकुश होता है वो ही उसे काबू में कर सकता है | मगर खां सबसे बड़ी बात तो ये कि हाथी की तरह उसके भी खाने के दांत अलग और दिखाने के दांत अलग अलग हैं | यहाँ के लोग खाने के दांत को माशाराम और दिखाने के दांत को तमाशाराम कहते हैं |" कहकर चच्चा ने दूसरी गिलौरी भी दाब ली मगर वे आगे कुछ और बता पाते कि सर्वर डाउन हो गया || (चित्र गूगल साभार )
कथ्य,शिल्पऔर अंतर्निहित सन्देश तीनों ही दृष्टि से अकिंचन ,जीवित फिर भी त्रणवत