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Showing posts from August, 2013

चन्द्रलोक से चच्चा

चन्द्रलोक से चच्चा ************************************************************************************************** चच्चा भोपाली इन दिनों चंद्रलोक की सैर पर हैं | जैसे ही सर्वर जुड़ा इधर लोगो ने कैमरे के सामने थोबड़ा रखते हुये एक साथ सवाल दागा “ चच्चा चन्द्र लोक में क्या देखा ? ” चच्चा ने  पान के गिलौरी मुँह में दाबी और पीक मारकर बोले .. “ खां देखने के लिए कुछ है  ही नहीं ..बस पहाड़ सा एक जानवर यहाँ भी है  हाथी जैसा ... लेकिन चन्द्रलोक वाले उसे क़ानून कहकर बुलाते हैं ...खां वो खाता बहुत है पर चलता धीरे धीरे है | कभी पगला भी जाता है | जिसके पास अंकुश होता है वो ही उसे काबू में कर सकता है | मगर   खां सबसे बड़ी बात तो ये कि हाथी की तरह उसके भी खाने के दांत अलग और दिखाने के दांत  अलग अलग हैं | यहाँ के लोग खाने के दांत को माशाराम और दिखाने के दांत को तमाशाराम कहते  हैं |" कहकर चच्चा ने दूसरी गिलौरी भी दाब ली मगर वे आगे कुछ और बता पाते कि सर्वर डाउन हो गया || (चित्र गूगल साभार )

तब भी आज भी

सक्ष्म कथा :तब भी आज भी ************************************************************************************* “तब हमें हुकुम सरकार की कोठियों पर नाचना होता ...रात रात भर जलसा होता.. एक दिन सरकार का हुकुम हुआ ..ऐ बेडनी.. नंगी नाच...” बेडनी ने अपनी राम कहानी सुनाते हुये साँस भरी .. “फिर .. क्या तुम नंगी नाची ?” गुलाबो ने पूछा “और नहीं तो क्या ?..गाय और बेडनी की एक ही गति होती है ..उसने दूध बंद किया तो कसाई को ...इसने नाच बंद किया तो कसाई को.. शर् ... म करती तो मारी जाती, सो सब के आगे अपने हाथो अपनी शर्म उतारकर नाची..उस समय लगा था कि काश धरती फट जाये तो उसमे समा जाऊं या आसमान टूट पड़े तो उसके नीचे दब जाऊं ..पर मानो धरती आसमान सब सरकार से मिले हुये थे..|” “मिले तो आज भी है नानी” गुलाबो ने साँस भरी “ अरे नहीं रे ..वो ज़माना गुलामी का था ..अब ज़माना बदल गया है |” कहते हुये बेडनी ने करवट ली “ज़रूर बदला है ...तुम्हे चली आ रही सरकार नचाती थी ..हमें चुनी हुई सरकार नचाती है. |” .. लंबी साँस के साथ गुलाबो ने भी करवट बदल ली ||| (बेडनी : नाचकर आजीविका कमाने वाली जाति )

गणित

सूक्ष्म कथा : गणित ************************************************************************************* चरर्रररर... चू .... के साथ गाड़ी झटके से रुकी और उन्होंने देखा कि सायकल और झोले से कुछ दूरी पर वो गिरा पड़ा था | सर से खून अब भी बह रहा था | कुछ देर पहले ही शायद कोई गाड़ी टक्कर मार कर भाग गयी होगी | उन्होंने अपने एक आदमी की मदद से उसे उठाकर गाड़ी में डाला | इशारा पाकर दूसरे आदमी ने मोबाइल क्लिक किया | गाड़ी राजधानी की और दौड़ने लगी | वे आग में अपनी रोटियां सेकक ... र , देहात से लौट रहे थे | वे खुश थे कि जो बीज उन्होंने बोये थे , चुनावी मौसम में उसकी फसल कटाई के लिए तैयार थी | उधर पीछे लेटा घायल..होश में आते ही जैसे बडबडाया उनके माथे पर बल पड़ गये .. “ अरे .. ...ई तो अपनी कौम का नहीं जान पड़ता ...तनिक नाम तो पूछिये इसका ” और नाम सुनते ही वे चिल्ला पड़े .. “ गाड़ी रोक ...मौजी इसे उतार का किनारे रख दे ..पब्लिक को मालूम हुआ कि हम इसे बचाये है तो सब किये धरे पर पानी फिर जायेगा ”... लेकिन गाड़ी के रुकते ही मौजी का दिमाग चलने लगा ,उन्हें किनारे ले जाकर उनके कान में फुसफुसाया .. “ अ

अफ़सोस

  सूक्ष्म कथा :अफ़सोस ************************************************************************************* शादी की व्यस्तता के बीच  उसे फेस बुक में स्टेटस अपडेट करने का ध्यान ही नहीं रहा | कार में दुल्हन के बगल में बैठे हुये अचानक उसे याद आया कि पिछले १२ - १३ घंटो से उसने फेस बुक , ट्विटर . माय स्पेस ...कुछ भी नहीं विजिट नहीं किया था | "ओह शिट ... व्हाट हेल ..आय एम..."..बुदबुदाते हुये ,अपना  आई पेड  ऑन कर वो फेस बुक में लाग इन हो गया | उसी समय  उसके दोस्त ने  अपनी 'पामेरियन लूसी' का जीभ निकालकर हांफता हुआ फोटो अपलोड किया  जिसे हाट लाइक मिलने लगे | आनन फानन उसने  भी "माय बेटर हाफ "  का केप्शन लगाकर  अपनी नवेली दुल्हन का ताज़ा तरीन फोटो  अपलोड कर दिया | .... इधर कार  जिस रफ़्तार से भाग रही थी उधर  उसी  रफ़्तार से  लूसी की लीड बढती जा रही थी | उसने अफ़सोस के साथ एक नज़र दुल्हन पर डाली ....... और दुल्हन  की जगह लूसी के ना होने के गम में गर्क हो गया ...|||

.१५ अगस्त :चिल्लर ख्याल

  १५ अगस्त :चिल्लर ख्याल   लड्डू बंट रहे थे ..मै भी लाइन में लग गया ...मेरे हिस्से में टेढ़ा लड्डू आया ...मैंने कहा कि भाई मुझे बदलकर सीधा लड्डू दो ...उसने पलटकर कहा अब आज़ादी ही टेढ़ी मिली है तो लड्डू कहाँ से सीधा  मिलेगा . ??.. **************************************************************************************** जैसे ही आज़ादी की घोषणा हुई सफ़ेद कबूतर आज़ाद कर दिये  गये .. मेरे सोचने वाली बात यह थी की कि यदि उन्हें आज़ाद करना ही था तो पकड़ा ही क्यों गया ? और यह भी कि आज़ादी तो काले और भूरे लोंगो को मिली थी फिर आज़ाद सिर्फ सफ़ेद क्यों किये गये ? नहीं मै रंगभेद की बात नहीं कर रहा मै तो सिर्फ यह पूछ रहा हूँ कि हम कब सफ़ेद की ग्रन्थि से आज़ाद होंगे ? अंत तक मै यह समझने की कोशिश करता रहा कि आज़ाद कौन हुआ ...देश  या कबूतर ?? ************************************************************************************** मैंने सपना देखा कि नये कानून के हिसाब से बेईमान , मिलावट खोर , अंधविश्वास के कारोबारी , जातिवादी और साम्प्रदायिक व्यक्ति सार्वजानिक समारोहों में झंडा नहीं फहरा

घंटी

घंटी **************************************************************************************************** तो चूहों ने तय किया कि बिल्ली के गले में घंटी बाँध दी जाये ... देखिये भाई साहेब यह मत कहियेगा   कि चूहे कुछ तय नहीं कर सकते .. आखिर चूहों में तय कर ही लिया ... और बड़ी सी घंटी लेकर बिल्ली के पास पहुंचकर बोले .. “ मौसी हमने तय कर लिया है ... प्लीज अब आप भी घंटी बंधवाकर हमारे निर्णय  की लाज रख लो   ” बिल्ली ने मुस्कुरा कर कहा.... “ अरे नादानो   इतनी सी बात .... लेकिन तुम लोग कष्ट क्यों करते हो लो ..मै अपने हाथो से घंटी पहन लेती हूँ... ” और बिल्ली ने इस अवसर के लिए पहले से तैयार रखी मिट्टी की घंटी अपने हाथों से पहन ली | चूहे फिर से निश्चिन्त होकर सो रहे .... बिल्ली अब पहले से अधिक बिंदास होकर शिकार करने लगी | बिल्ली इन दिनों सीमा पर टहल रही है ...|||