सूक्ष्म कथा : खाना-खिलाना
************************** **************
“पहली बार देश को कर्रा नेता मिला है ...ना खाऊंगा ना खाने दूंगा ..
अब देखियेगा अपना इंडिया बहुत जल्दी पटरी पर आ जायेगा ..”
सहयात्रियों के सामने वे जोर जोर से बोले जा रहे थे कि उन्हें ध्यान ही नहीं रहा कि देर से टी.टी. ई उनसे टिकट माँग रहा था |
अचकाचाकर उन्होंने टिकट और अपना परिचय पत्र दोनों आगे किया |
“३१५ रूपये डिफ़रेंस भर दीजिये” टी टी ई ने रसीद बुक निकालते हुए कहा ...|
“आपने आई कार्ड नहीं देखा ..शायद ...इधर आइये जरा आपको बताता हूँ ..” बोलते हुए वे टी टी ई को गेट की तरफ ले गए |
लौटे तो हिसाब लगाया सिर्फ एक गांधी छाप चढ़ाना पडा यानी इस तरह से २१५ फिर भी नफे में रहे ..| उन्होंने जेब से हाजमोले की गोलियाँ निकाली और दो गोली मुँह में डालकर डिब्बी सहयात्री केसामने बढ़ा दी |
“साहब देश बचाना है तो भ्रष्टाचार मिटाना होगा वर्ना इससे अच्छी तो गुलामी थी ..अब किसी ना किसी को तो .....”.... खाने और खिलाने के बीच वे फिर से शुरू हो गये ..|
वे और ट्रेन दोनों रफ़्तार पकड चुके थे ||||
फेस बुक २१/ ८/ २०१४
**************************
“पहली बार देश को कर्रा नेता मिला है ...ना खाऊंगा ना खाने दूंगा ..
अब देखियेगा अपना इंडिया बहुत जल्दी पटरी पर आ जायेगा ..”
सहयात्रियों के सामने वे जोर जोर से बोले जा रहे थे कि उन्हें ध्यान ही नहीं रहा कि देर से टी.टी. ई उनसे टिकट माँग रहा था |
अचकाचाकर उन्होंने टिकट और अपना परिचय पत्र दोनों आगे किया |
“३१५ रूपये डिफ़रेंस भर दीजिये” टी टी ई ने रसीद बुक निकालते हुए कहा ...|
“आपने आई कार्ड नहीं देखा ..शायद ...इधर आइये जरा आपको बताता हूँ ..” बोलते हुए वे टी टी ई को गेट की तरफ ले गए |
लौटे तो हिसाब लगाया सिर्फ एक गांधी छाप चढ़ाना पडा यानी इस तरह से २१५ फिर भी नफे में रहे ..| उन्होंने जेब से हाजमोले की गोलियाँ निकाली और दो गोली मुँह में डालकर डिब्बी सहयात्री केसामने बढ़ा दी |
“साहब देश बचाना है तो भ्रष्टाचार मिटाना होगा वर्ना इससे अच्छी तो गुलामी थी ..अब किसी ना किसी को तो .....”.... खाने और खिलाने के बीच वे फिर से शुरू हो गये ..|
वे और ट्रेन दोनों रफ़्तार पकड चुके थे ||||
फेस बुक २१/ ८/ २०१४
Comments
Post a Comment